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Showing posts from April, 2021

Ajab Gajab News-धरती का एक ऐसा देश, जहां आसमान से होती है आग की बारिश

डिजिटल डेस्क,भोपाल। धरती में ऐसे कई स्थान हैं, जिसके बारे में हमे कुछ नहीं पता। न जाने इन स्थानों में कितने रहस्य कैद है। ऐसी ही एक जगह हैं, डानाकिल डिप्रेशन। ये जगह उत्तरी अफ्रीका के इथियोपिया नाम के देश में मौजूद है। इस जगह पर आसमान से आग की बारिश होती है। दरअसल, इस जगह पर ढ़ेरो सोख्ते और झरने हैं,जिनमें से गर्म पानी निकलता है। हैरान करने वाली बात तो ये हैं कि,ये  थोड़े-थोड़े समय में ज्वालामुखी की तरह फूटते है और वैज्ञानिकों के अनुसार, झरनों के फूटने के कारण यहां पर आग की बारिश भी होती है।  इस जगह पर मौजूद हैं 3 टेक्टॉनिक प्लेट्स डानाकिल डिप्रेशन में ज्वालमुखी की तरह होने वाली सघन क्रिया से भारी मात्रा में पोटेशिएम सॉल्ट और सल्फर निकलता है। यही वजह हैं कि,इसके आस-पास की जमीनें लाल, पीली, नारंगी और सफेद रंग की हो गई हैं।  बता दें कि, डानाकिल डिप्रेशन समुद्र तल से 125 मीटर नीचे स्थित है।   वही इस जगह पर तीन टेक्टॉनिक प्लेट्स मौजूद हैं। यही प्लेटें इस स्थान को खास बनाती हैं।  टेक्टॉनिक मूवमेंट के चलते हर साल यह प्लेटें एक दूसरे से 1 या 2 सेंटीमीटर दूर खिसक रही हैं।  प्लेटों के

Ajab Gajab News-इस देश के लोग अंतिम संस्कार में खाते हैं लाशें , अजीब हैं ये परम्परा

डिजिटल डेस्क,भोपाल। दुनिया में ऐसी ढेरों प्रजाति हैं,जिनकी परम्परा अजीबो गरीब हैं। ये प्रजातियां आम लोगों की तरह नहीं होती हैं। बल्कि उनसे बिल्कुल अलग होती है और अपने बनाए हुए तौर-तरीकों के हिसाब से ही जीवन-यापन करती है। ऐसी ही एक जनजाति हैं यानोमामी। इस जनजाति के लोग अपनी ही जनजाति के मृतकों का मांस खाते हैं। ये लोग साउथ अमेरिका के ब्राजील में निवास करते हैं। इस परम्परा को एंडो-केनिबलवाद कहा जाता है। क्या हैं इस जनजाति की परम्परा  द गार्जियन में छपी खबर के अनुसार, साउथ अमेरिका के ब्राजील और वेनेजुएला में यानोमामी जनजाति (Yanomami),जिसे यनम या सीनेमा के नाम से जाना जाता हैं। यह जनजाति आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण से प्रभावित नहीं होते, बल्कि यह अपनी संस्कृति व परंपराओं का अनुपालन करते हैं। यही कारण हैं कि, ये अपनी परम्पराओं में बाहरी लोगों की दखलअंदाजी पसंद नहीं करते है। इन लोगों के अंतिम संस्कार करने का तरीका बहुत अलग है, जो शायद आपका दिल-दहला कर रख दे। अमेजन वर्षावन में रहने वाले यानोमामी जनजाति का मानना है कि, मौत के बाद शरीर के आत्मा को संरक्षित रखने की जरूरत होती है।  इस जनजा

Ajab Gajab News-इस देश में घोड़े की दवा बनी कोरोना वैक्सीन ! लोग कर रहे इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क,दिल्ली। कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया प्रभावित है। वायरस दिन-प्रतिदिन अपने पैर पसार रहा हैं,जिसकी वजह से लोग संक्रमण से बचने के लिए अलग-अलग उपाय कर रहे है। इसी दौरान फिलीपींस में लोग घोड़े को दिए जाने वाली ड्रग का इस्तेमाल कोरोना वैक्सीन के तौर पर कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने इस बात की मंजूरी अब तक नहीं दी हैं। बता दें कि,फिलीपींस इन दिनों कोरोना वैक्सीन की कमी का सामना कर रहा है, जिसकी वजह से लोगों का प्रशासन से भरोसा उठ गया है। 'आइवरमेक्टिन' नाम का हैं ड्रग फिलीपींस में इस ड्रग को लेकर भ्रम कुछ इस तरह फैल गया हैं कि,यहां के कुछ नेता और सोशल मीडिया इंफ्लूएंजर्स भी इसे कोरोना वैक्सीन की तरह प्रमोट कर रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इन दावों को पूरी तरह से गलत बताया है। इस ड्रग को इंसानों के इस्तेमाल के लिए अब तक रजिस्टर नहीं करवाया गया है। ड्रग को बनाने वाली कंपनी मर्क ने एक बयान जारी कर कहा कि,इस दवा को कोरोना वैक्सीन के तौर पर सही नहीं पाया है, लेकिन इसके बावजूद इस ड्रग की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आइवरमेक्टिन के एक वर्जन को लेकर अमेरिका में इंसा

Ajab Gajab News-भारत का वो गांव,जहां पक्षी करते हैं आत्महत्या,रहस्यमयी ताकतों का हैं प्रकोप

डिजिटल डेस्क,भोपाल। इंसानों में आत्महत्या करने की प्रवृति तो आम बात हैं, लेकिन पक्षियों के लिए ये अलग बात है। पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में एक ऐसा गांव हैं,जहां हर साल हजारों की तादाद में पक्षी खुदकुशी कर लेते है। असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों के सुसाइड पॉइंट के लिए काफी मशहूर है। यहां हर साल सितंबर के महीने में पक्षी आत्महत्या कर लेते है। क्या हैं वजह स्थानीय लोगों के अनुसार, हवाओं में कोई रहस्यमयी ताकत आ जाती है,जो पक्षियों को ऐसा करने पर विविश करती है। इस दौरान इंसानों का अपने घर से बाहर निकलना भी खतरें से खाली नहीं होता है। हर साल सितंबर-अक्तूबर के दौरान जतिंगा की सड़कें शाम के समय एकदम सुनसान हो जाती हैं। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, चुंबकीय ताकत इस घटना का कारण है। जब कोहरा घना होता हैं और मौसम में नमी रहती हैं उस वक्त हवाएं तेजी से बहती हैं, जिसकी वजह से रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आसपास उड़ने लगते हैं। लेकिन रोशनी कम होने के कारण उन्हें साफ दिखाई नहीं देता है, जिसके कारण पक्षी किसी इमारत, पेड़ या वाहनों से टकरा जाते हैं। ऐसे

Ajab Gajab News-इस देश के भिखारी हैं कैशलेस, ई-पेमेंट और QR कोड से लेते हैं भीख

डिजिटल डेस्क,भोपाल। कई देशों में भिखारियों की स्थिति इतनी खराब हैं कि, उनके बदन में न कपड़ें हैं और न ही दो वक्त की रोटी। वो किसी तरह से अपनी जिंदगी काट रहे हैं लेकिन एक देश ऐसा हैं जहां के भिखारी आम जनता की तरह आधुनिक है। चीन में भिखारी दिन-प्रतिदिन आधुनिक हो रहे है। यहां भीख मांगने के लिए ई-पेमेंट और QR कोड का इस्तेमाल किया जाता है। क्या हैं वजह चीन में तकनीकी इतनी उन्नत हैं कि, यहां के लोग कैश की जगह कार्ड लेकर चलते है। जिसकी वजह से भिखारियों को भीख नहीं मिल पाती थी। चीन में आम जनता कई बार  छुट्टे पैसे ना होने का बहाना करते थे, इस वजह से भिखारी ई-वॉलेट का उपयोग कर रहे है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भिखारी QR कोड के साथ एक पेपर लेकर शहर के पर्यटन स्थलों या शॉपिंग मॉल जैसी जगहों पर खड़े रहते हैं क्योंकि ऐसी जगहों पर लोग ज्यादा संख्या में घूमने आते है। बता दें कि चीन की दो सबसे बड़ी ई-वॉलेट कंपनियां इस काम में भिखारियों की मदद करती हैं।  एलिपे और वीचैट वॉलेट ने भिखारियों से साठगांठ कर ली है। भिखारी जैसे ही QR कोड की मदद से पैसे लेते हैं, तो देने वालों का डाट